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कार्तिक पूर्णिमा पर काशी के घाटों पर उमड़ा आस्था का सागर, लाखों श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान


 कार्तिक पूर्णिमा पर वाराणसी में गंगा घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाई। अस्सी घाट से राजघाट तक और गंगा-गोमती के संगम पर भी स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। बुधवार तड़के से ही लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी की ओर प्रस्थान करने लगे। सूर्य की पहली किरण के साथ गंगा में पूर्णिमा का स्नान आरंभ हुआ। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित किया। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

 

पर्यटन मंत्री ने बताया कि श्कार्तिक पूर्णिमा की पहली किरण के साथ ही घाटों पर श्रद्धा और भक्ति का सैलाब देखने को मिला। गूंजते मंत्रों, आरती और दीपों की ज्योति से वातावरण दिव्यमय हो उठा। पर्यटन विभाग की ओर से देव दीपावली के आयोजन के लिए भव्य तैयारियां की गई हैं। मंत्री ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में इस वर्ष देव दीपावली को और अधिक भव्य, सुव्यवस्थित और आकर्षक स्वरूप देने के लिए विशेष प्रबंधन किए गए हैं। घाटों से लेकर नगर की प्रमुख सड़कों तक रोशनी, सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विस्तृत खाका तैयार किया गया है।


जयवीर सिंह ने बताया कि श्वाराणसी के विभिन्न घाटों पर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस दौरान विदेशी पर्यटकों ने भी पवित्र गंगा में विधि-विधान के साथ डुबकी लगाकर आस्था व्यक्त की। घाटों पर आयोजित गंगा आरती, भजन-कीर्तन और दीपदान के दृश्य ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया। मंत्री ने बताया कि वाराणसी की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक गरिमा दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करती है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यह अपने चरम पर दिखाई दिया।


पर्यटन मंत्री ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा स्नान न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह काशी की जीवंत आध्यात्मिक विरासत को भी दर्शाता है। प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु काशी पहुंचते हैं और आस्था की डुबकी लगाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) के दिन दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में एक काशी उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि का वैश्विक प्रतीक बन जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। महादेव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन किया गया दान कई यज्ञों के बराबर फल देता है। काशी की देव दीपावली विश्वविख्यात है।


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