प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने विधान परिषद में कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवाओं के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं और अच्छे अवसर मिलने पर युवा स्वाभाविक रूप से बेहतर विकल्प चुनते हैं, इसमें किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि विभाग युवाओं को किसी एक कंपनी में बंधन में रखने का कार्य नहीं करता, बल्कि उद्योगों के साथ समन्वय कर उन्हें अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करता है।
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि कंपनियां अपने स्तर पर रोजगार की अवधि तय करती हैं, लेकिन सरकार का दायित्व युवाओं को प्रतिबंधित करना नहीं, बल्कि उन्हें योग्य बनाकर बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर करना है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा उद्योग संघों, औद्योगिक संगठनों और बड़े औद्योगिक समूहों जैसे आईआईए, फिक्की, सीआईआई सहित विभिन्न संस्थाओं के साथ लगातार बैठकें की जाती हैं। नोएडा, कानपुर और लखनऊ सहित प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में नियमित संवाद के माध्यम से युवाओं को उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षित किया जा रहा है।
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व आयोजित निवेश सम्मेलनों के माध्यम से यह मैपिंग की जाती है कि किस क्षेत्र में किस प्रकार के कौशल की आवश्यकता है। उसी आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं, जिससे युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग के पास वही आंकड़े उपलब्ध होते हैं, जो प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट के माध्यम से जुड़े युवाओं से संबंधित होते हैं, जबकि कई युवा अपने निजी प्रयासों से भी विभिन्न कंपनियों, संस्थानों और संगठनों में कार्यरत हैं।
मंत्री अग्रवाल ने तकनीकी प्रशिक्षण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि तकनीकी दक्षता रखने वाले युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं कहीं अधिक होती हैं। जल जीवन मिशन, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल, ऑटोमोबाइल, ड्रोन, सोलर एवं इलेक्ट्रिक व्हीकल जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निरंतर रोजगार के अवसर बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीते तीन वर्षों में लगभग 8,000 युवाओं को इजराइल में रोजगार के लिए भेजा गया है, जहां वे 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह तक अर्जित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त टाटा समूह के सहयोग से आईटीआई संस्थानों को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया गया है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में कम से कम दो से तीन आईटीआई को नवीनतम मशीनों और आधुनिक शेड के साथ विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि सीएसआर फंड के माध्यम से लगभग 7,000 करोड़ रुपये के निवेश से यह परिवर्तन संभव हुआ है।
