योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को देश का सबसे आकर्षक और उद्योग-हितैषी राज्य बनाने के लक्ष्य के तहत औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान की संयुक्त अध्यक्षता में बुधवार को 6 कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर लघु उद्योग भारती प्रतिनिधिमंडल और शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक व्यापक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के विस्तार, उद्योग स्थापना की प्रक्रियाओं को सरल बनाने तथा औद्योगिक क्षेत्रों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने पर विस्तृत चर्चा हुई। योगी सरकार की प्रतिबद्धता है कि उत्तर प्रदेश में उद्यमी बिना किसी जटिलता और बाधा के अपना उद्योग स्थापित कर सकें और प्रदेश में औद्योगिक निवेश को नई गति मिल सके।
बैठक में मंत्रियों ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में भूखण्ड उपलब्ध कराने के नियम और शर्तें भिन्न-भिन्न हैं, जिसे समाप्त करते हुए पूरे प्रदेश के लिए एक समान नीति बनाई जाएगी, ताकि उद्योग लगाने की प्रक्रिया सरल, सुगम और पारदर्शी हो सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में भूखण्ड आवंटन नीलामी से न होकर लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिससे छोटे उद्यमियों और स्टार्टअप इकाइयों को भी समान अवसर मिल सके। भूखण्ड के हस्तांतरण की व्यवस्था समाप्त करने पर जोर देते हुए मंत्रियों ने कहा कि आवंटित भूमि केवल उद्योग स्थापना के लिए प्रयुक्त होनी चाहिए और यदि कोई उद्यमी नियमों का पालन नहीं करता, भूमि का दुरुपयोग करता या हस्तांतरण करता है तो भूखण्ड स्वतः निरस्त किया जा सकेगा।
बैठक में यह भी प्रस्तावित किया गया कि एक ही प्रकार के उत्पादों के लिए एक ही औद्योगिक क्षेत्र में भूखण्ड आवंटन कर उद्योग क्लस्टर तैयार किए जाएं, जिससे उत्पादन इकाइयों को बेहतर सुविधा, लागत में कमी और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का लाभ मिल सके। सूक्ष्म उद्यमियों को सस्ती किश्तों पर शेड उपलब्ध कराकर प्लग एंड प्ले सुविधा विकसित करने पर भी सहमति बनी, ताकि नए उद्यमी बिना अतिरिक्त लागत के तुरंत उत्पादन प्रारंभ कर सकें। मंत्रियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं का विकास अनिवार्य है, जिसके लिए सामुदायिक केंद्र, फायर स्टेशन, विद्युत उपकेंद्र, डिस्पेंसरी, कैंटीन और पुलिस चौकी जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी।
भूमि मूल्य और लीज रेंट पर चर्चा के दौरान यह सहमति बनी कि उद्योगों के लिए आवंटित भूमि पर लीज रेंट न्यूनतम होना चाहिए और यदि भूखण्ड सरकारी भूमि पर हो तो उद्यमियों से केवल विकास व्यय ही लिया जाए। वहीं निजी भूमि के आवंटन में कुल लागत और विकास व्यय पर कम से कम 25 प्रतिशत की छूट प्रदान करने का सुझाव दिया गया। बैठक में यह भी विचार हुआ कि जो उद्योग किराये के स्थानों पर चल रहे हैं या जो अपने उद्योगों का विस्तार करना चाहते हैं, उन्हें भूमि आवंटन में प्राथमिकता दी जाए। स्टार्टअप और स्थानीय उत्पाद आधारित इकाइयों को भी प्राथमिकता देने पर विशेष जोर दिया गया।
उद्यमियों की सुरक्षा और सुगमता को ध्यान में रखते हुए फायर एनओसी की सुविधा को सामूहिक प्रणाली के माध्यम से आसान बनाने, भूखण्ड कब्ज़ा अवधि को तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने करने, मानचित्र अनुमोदन प्रक्रिया को समयबद्ध करने तथा प्रदूषण, फायर और विद्युत सुरक्षा जैसी एनओसी को मानचित्र के साथ ही सुनिश्चित करने पर भी विस्तृत चर्चा हुई। मंत्रियों ने यह भी कहा कि प्रीमियम और किश्तों पर ब्याज भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो रेट आधारित व्यवस्था के अनुसार ही लिया जाए तथा उस पर चक्रवृद्धि ब्याज न लगाकर साधारण ब्याज ही लगाया जाए। साथ ही यह भी तय किया गया कि कब्जा मिलने के बाद ही ब्याज देय होगा।
औद्योगिक क्षेत्र के टैक्स और मेंटेनेंस शुल्क में नगर निगम और औद्योगिक प्राधिकरण के बीच एकरूपता लाने और वसूली गई धनराशि का उपयोग केवल औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में किए जाने का निर्देश दिया गया। उद्यमियों के कामगारों के आवास हेतु भूमि के दायरे को भी बढ़ाने पर सहमति बनी। उद्योग बंद होने की स्थिति में स्पष्ट समर्पण नीति का निर्माण तथा उद्यमियों की समस्याओं व आवेदनों के ऑनलाइन स्टेटस की जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था विकसित करने पर भी विचार किया गया।

